🌿 शास्त्रों के अनुसार ब्राह्मण के स्वभाव और गुण
- शम (मन का नियंत्रण)
- दम (इन्द्रियों का नियंत्रण)
- तप (साधना और संयम)
- शौच (बाहरी और आंतरिक शुद्धता)
- क्षान्ति (क्षमा)
- आर्जव (सत्यनिष्ठा, सरलता)
- ज्ञान (तत्त्वज्ञान)
- विज्ञान (प्रायोगिक ज्ञान)
- आस्तिक्य (ईश्वर और धर्म पर आस्था)
ब्राह्मण का स्वभाव और गुण
ब्राह्मण का स्वभाव होता है शांत, अनुशासित, ज्ञानवान, सत्यनिष्ठ और धर्मनिष्ठ।
- वे समाज के मार्गदर्शक हैं, जो ज्ञान और स्पष्टता प्रदान करते हैं।
- उनका बल ज्ञान, तप और सत्य में निहित है।
- उन्हें लोभ, क्रोध और अहंकार से दूर रहना चाहिए।
- वे अध्ययन, अध्यापन, साधना और धर्म की रक्षा में निरत रहते हैं।
मुख्य कर्तव्य:
- वेद–शास्त्रों का अध्ययन और शिक्षण
- यज्ञ–अनुष्ठान करना व कराना
- ज्ञान और परामर्श से समाज का नेतृत्व करना
- तप, दान और करुणा का आचरण
👉 सरल शब्दों में:
ब्राह्मण वह है जो ज्ञान और धर्म से जीवन जीता है तथा समाज को ज्ञान और आत्मबल से दिशा देता है।
व्यवसाय:
गुरु, वैज्ञानिक,आचार्य, पुरोहित, दार्शनिक, साधु–संत, विद्वान, वैद्य, मार्गदर्शक — वे सभी जो ज्ञान और धर्म से समाज को प्रकाशित करते हैं।